रविवार की आरती - २

कहुँ लगि आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकी जोत विराज ॥टेक॥ अमित कोति जाके बाजा बाजे, कहा भयो झनकार करे हो राम ।

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Last updated Sun, 26-Mar-2023 Hindi-gujarati

कहुँ लगि आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकी जोत विराज ॥टेक॥

अमित कोति जाके बाजा बाजे, कहा भयो झनकार करे हो राम ।

सात समुद्र जाके चरणनि बसे, कहा भयो जल कुम्भ भरे हो राम ।

चार वेद जाके मुख की शोभा, कहा भयो ब्रह्मवेद पढ़े हो राम ।

कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा भयो मन्दिर दीप धरे हो राम ।

शिव सनकादिक आदि ब्रह्मादिक, नारद मुनि को ध्यान धरे हो राम ।

भार अठारह रोमावलि जाके, कहा भयो शिर पुष्पधरे हो राम ।

हिम मंदार जाको पवन झकोरें, कहा भयो शिर चँवर ढुरे हो राम ।

छप्पन भोग जाके नितप्रति लागे, कहा भयो नैवेद्य धरे हो राम ।

लख चौरासी वन्द छुड़ाये, केवल हरियश नामदेव गाये हो राम ।